उत्तराखंड में UKSSSC की ग्रेजुएट लेवल परीक्षा का पेपर लीक होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन 21 सितंबर 2025 को हुई परीक्षा में तीन पेज लीक होने से हजारों बेरोजगार युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा। हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में धरना चल रहा था, जहां बेरोजगार संघ के वाइस प्रेसिडेंट भूपेंद्र सिंह कोरंगा ने 25 सितंबर से आमरण अनशन शुरू किया था। उनकी मुख्य मांग थी परीक्षा रद्द करना, दोषियों पर सख्त कार्रवाई और CBI जांच। लेकिन 29 सितंबर 2025 को पुलिस ने जबरन हस्तक्षेप किया, जिससे पूरा मामला और गरमा गया। यह घटना हल्द्वानी, उत्तराखंड में हुई, और कई न्यूज साइट्स जैसे लाइव हिंदुस्तान, टाइम्स ऑफ इंडिया और अमर उजाला ने इसे कवर किया। कल और आज की खबरों से साफ है कि सरकार SIT बना चुकी है, लेकिन युवा CBI चाहते हैं।
पेपर लीक मामले को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे युवा भूपेंद्र कोरंगा को पुलिस उठा कर ले गई। उन्हें ज़बरदस्ती हटाने की कोशिश के दौरान प्रदर्शनकारी छात्रों और पुलिस के बीच जमकर खींचतान हुई।#UKSSSC #Haldwani pic.twitter.com/PB2bSbhoMu
— Kumaon Jagran (@KumaonJagran) September 29, 2025
घटना का पूरा विवरण: धरने पर शांतिपूर्ण विरोध कैसे बदला हंगामा
29 सितंबर 2025 को दोपहर करीब 1 बजे हल्द्वानी के बुद्ध पार्क पहुंची पुलिस टीम ने भूपेंद्र कोरंगा को उनके अनशन स्थल से खींचकर उठा लिया। सिटी मजिस्ट्रेट और CO सिटी की मौजूदगी में एंबुलेंस में उन्हें जबरन बिठाया गया। युवाओं ने इसका विरोध किया, तो धक्कामुक्की शुरू हो गई। वीडियो में दिखा कि पुलिस ने महिलाओं को घसीटा, उनके कपड़े फट गए, कुछ छात्राओं के चश्मे टूटे और कई युवाओं को चोटें आईं। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकार उनकी आवाज दबा रही है। पुलिस का दावा था कि भूपेंद्र की सेहत बिगड़ रही थी, इसलिए अस्पताल ले जाना जरूरी था। लेकिन X पर वायरल वीडियो से साफ है कि यह शांतिपूर्ण धरना था। टाइम्स ऑफ इंडिया और हिंदू अखबार ने बताया कि इसी दिन देहरादून में CM पुष्कर सिंह धामी ने प्रदर्शनकारियों से मिलकर CBI जांच का वादा किया, लेकिन हल्द्वानी में कार्रवाई ने विरोधियों को और भड़का दिया।
पृष्ठभूमि: UKSSSC पेपर लीक कैसे हुआ और क्यों उबला गुस्सा
यह सब 21 सितंबर 2025 को शुरू हुआ जब हरिद्वार के एक सेंटर से परीक्षा के 30 मिनट बाद तीन पेज की फोटो व्हाट्सएप पर लीक हो गई। पुलिस ने 23 सितंबर को मुख्य आरोपी खालिद मलिक को गिरफ्तार किया, जो दीवार फांदकर मोबाइल से फोटो खींचकर अपनी बहन सबिया को भेजता था। उसके अलावा हाकम सिंह और पंकज गौर जैसे नकल माफिया भी पकड़े गए। सरकार ने 2023 का एंटी-चीटिंग लॉ लगाया, लेकिन फिर भी लीक हुआ। इससे पहले 2021 में भी UKSSSC का पेपर लीक हो चुका था। बेरोजगार युवा कहते हैं कि महीनों की मेहनत बर्बाद हो गई। हल्द्वानी में धरना 25 सितंबर से चल रहा था, जहां 28 सितंबर को प्रतीकात्मक रूप से भैंस के आगे बीन बजाकर सरकार पर तंज कसा गया। अमर उजाला और आज तक ने कन्फर्म किया कि पूरे राज्य में प्रदर्शन हुए, करीब 400 युवाओं को हिरासत में लिया गया।
प्रभाव: युवाओं का दर्द और महिलाओं पर अत्याचार जो समाज को झकझोर गया
इस घटना से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए बेरोजगार युवा। एक छात्रा ममता ने बताया कि पेपर लीक से उनका करियर बर्बाद हो गया, अब घरवाले शादी का दबाव डाल रहे हैं। हंगामे में महिलाओं के साथ हुई अभद्रता ने पूरे आंदोलन को भावुक बना दिया। X पर पोस्ट्स से पता चलता है कि वीडियो वायरल होने से #HaldwaniProtest ट्रेंड कर रहा है। उत्तराखंड एकता मंच के पीयूष जोशी, विनोद कांडपाल और हरीश रावत ने अब भूख हड़ताल शुरू कर दी। ईटीवी भारत और न्यूज18 ने लिखा कि बेरोजगारी दर 20% से ऊपर है, ऐसे में पेपर लीक युवाओं का भविष्य छीन रहा है। CM धामी ने 28 सितंबर को भूपेंद्र से फोन पर बात की, लेकिन मांगें मानने से इनकार कर दिया।
सरकारी प्रतिक्रिया: CBI वादा तो, लेकिन हल्द्वानी में बल प्रयोग क्यों
सरकार ने SIT बनाई, रिटायर्ड जज की निगरानी में एक महीने में जांच पूरी करने का आदेश दिया। 29 सितंबर को देहरादून में CM धामी ने CBI जांच का ऐलान किया, जिससे वहां धरना खत्म हो गया। लेकिन हल्द्वानी में SP प्रकाश चंद्रा ने कहा कि मेडिकल टेस्ट के लिए कार्रवाई जरूरी थी। विपक्ष ने इसे दमन बताया। हिंदुस्तान और सोशल न्यूज XYZ ने कन्फर्म किया कि युवा DGP को शिकायत भेज रहे हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन चौहान को सस्पेंड किया गया, लेकिन युवा कहते हैं कि बड़ा माफिया बाहर है।
निष्कर्ष: युवाओं की लड़ाई जारी, न्याय तक आंदोलन न रुकेगा
यह घटना दिखाती है कि उत्तराखंड में नौकरी के सपने कितने नाजुक हैं। हल्द्वानी 29 सितंबर 2025 की यह तस्वीर पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर रही है। सरकार को चाहिए कि CBI जांच पारदर्शी हो, परीक्षा रद्द करे और दोषियों को सजा दे। बेरोजगार संघ ने कहा कि जब तक न्याय न मिले, आंदोलन जारी रहेगा। युवाओं का गुस्सा जायज है, क्योंकि उनका भविष्य दांव पर है। अगर ऐसी घटनाएं रुकीं, तो राज्य आगे बढ़ेगा।
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