9 जुलाई 2025, सुबह गुजरात के आनंद और वडोदरा जिलों को जोड़ने वाला गंभीर पुल (Gambhira Bridge) अचानक महिसागर नदी में गिर गया। यह पुल कई वर्षों से जर्जर अवस्था में था और स्थानीय लोग इसे लेकर बार-बार चेतावनी दे रहे थे। इस हादसे में कम से कम 10 लोगों की मौत हो चुकी है और कई गंभीर रूप से घायल हैं।
हादसे से पहले दिखे थे संकेत
स्थानीय लोगों के अनुसार, जब भी कोई भारी वाहन इस पुल से गुजरता था, तो पुल हिलने लगता था। इसे लेकर कई बार जिला प्रशासन और PWD को सूचना दी गई थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यही वजह है कि इसे कई लोग "डिजास्टर-इन-वेटिंग" (एक इंतज़ार करता विनाश) कह रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने भी इस मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरा और कहा कि चेतावनियों के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया।
कैसे हुआ हादसा?
हादसा तब हुआ जब एक के बाद एक कई वाहन—ट्रक, बोलेरो, बाइक व पिकअप वैन—पुल पार कर रहे थे। अचानक पुल का एक हिस्सा टूट गया और सारे वाहन एक-एक कर नदी में गिर गए। चश्मदीदों का कहना है कि कुछ ही सेकंड में पुल पूरी तरह ढह गया। हादसे के तुरंत बाद NDRF, SDRF, पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में लग गईं।
सरकारी प्रतिक्रियाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की आर्थिक सहायता की घोषणा की। वहीं गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने इस हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और नए पुल के निर्माण कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने की बात कही है।
लापरवाही की कीमत
इस पुल का निर्माण 1985 में हुआ था और यह अब 40 साल पुराना हो चुका था। 2022 में इसकी हालत की जाँच की गई थी, जिसमें कई संरचनात्मक कमियाँ पाई गईं। इसके बावजूद इस पुल को चालू रखा गया। हादसे के बाद इस बात पर भी सवाल उठे हैं कि जब नया पुल बन रहा था, तब इस पुराने पुल को बंद क्यों नहीं किया गया?
स्थानीय नाराज़गी
गांववालों और स्थानीय नेताओं ने कहा कि कई बार शिकायत देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह हादसा सरकारी लापरवाही और भ्रष्टाचार का नतीजा बताया जा रहा है। एक गांववाले ने बताया, "हमने पहले ही कहा था कि ये पुल किसी दिन मौत बनकर गिरेगा।"