नई दिल्ली:
National Green Tribunal (NGT) ने हाल ही में दिल्ली में कबूतरों को दाना डालने की प्रथा पर चिंता जताई है। Tribunal का कहना है कि इस आदत से लोगों की सेहत को गंभीर खतरा हो सकता है। इसके चलते NGT ने दिल्ली सरकार और अन्य संबंधित अधिकारियों से इस मामले पर जवाब मांगा है।
क्या है मामला?
NGT को एक याचिका मिली थी जिसमें कहा गया था कि दिल्ली के कई इलाकों में लोग खुले में बड़ी संख्या में कबूतरों को दाना डालते हैं। इससे आसपास का वातावरण गंदा हो जाता है और इससे respiratory diseases (सांस से जुड़ी बीमारियां) फैलने का खतरा बढ़ता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कबूतरों के पंखों से निकलने वाले छोटे-छोटे कण और उनके मल से हवा में allergens (एलर्जी फैलाने वाले तत्व) फैल सकते हैं। इससे बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों की तबीयत बिगड़ सकती है। खासकर pigeon droppings (कबूतरों की बीट) में कई तरह के बैक्टीरिया और फंगस होते हैं जो फेफड़ों की बीमारी का कारण बन सकते हैं, जैसे कि hypersensitivity pneumonitis (एक तरह की एलर्जी वाली फेफड़ों की बीमारी)।
NGT का रुख
NGT ने कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर इस तरह से दाना डालने से public nuisance (सार्वजनिक असुविधा) पैदा होती है और यह environmental norms (पर्यावरणीय नियमों) का भी उल्लंघन हो सकता है। Tribunal ने नगर निगम, दिल्ली सरकार, और पर्यावरण मंत्रालय से पूछा है कि इस पर अभी तक क्या कदम उठाए गए हैं और आगे क्या योजना है।
क्या हो सकता है आगे?
NGT इस मामले में अगले कुछ हफ्तों में सुनवाई करेगा। अगर Tribunal को लगेगा कि यह वास्तव में एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है, तो वह कबूतरों को दाना डालने पर कुछ क्षेत्रों में रोक लगाने या नियम बनाने का आदेश दे सकता है।
निष्कर्ष
कबूतरों को दाना डालना एक धार्मिक या मानवीय भावना हो सकती है, लेकिन अगर इससे लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचता है, तो इस पर पुनर्विचार जरूरी है। NGT का यह कदम इसी दिशा में एक चेतावनी की तरह देखा जा रहा है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस पर क्या ठोस कदम उठाती है।