कोलकाता, 3 जून 2025:
कोलकाता हाई कोर्ट (Kolkata High Court) ने सोमवार को एक अहम फैसले में शर्मिष्ठा पनौली (Sharmistha Panoli) को उस offensive video मामले में कोई interim relief देने से इनकार कर दिया, जिसमें उनके खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक सामग्री इंटरनेट पर साझा करने का आरोप है।
यह मामला पश्चिम बंगाल के एक वायरल वीडियो से जुड़ा है, जिसे लेकर कई complaints दर्ज की गई हैं। आरोप है कि इस वीडियो में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है और सामाजिक वैमनस्य फैलाने की कोशिश की गई है।
कोर्ट की टिप्पणी:
Single-judge bench ने सुनवाई के दौरान कहा कि फिलहाल याचिकाकर्ता (Petitioner) को किसी भी प्रकार की interim protection नहीं दी जा सकती। अदालत ने राज्य सरकार (State Government) को निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई की तारीख तक पूरा case diary अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।राज्य सरकार की दलील:
सरकारी वकील (Government Counsel) ने अदालत को बताया कि मामले की जांच जारी है और वीडियो को लेकर गंभीर आपराधिक धाराएं (serious criminal charges) लगाई गई हैं। उन्होंने कहा कि आरोपी को तुरंत राहत देना जांच को प्रभावित कर सकता है।शर्मिष्ठा पनौली की याचिका:
पनौली की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता (Senior Advocate) ने अदालत से आग्रह किया था कि उन्हें गिरफ़्तारी से सुरक्षा दी जाए क्योंकि वे cooperate करने को तैयार हैं और उनका मकसद किसी की भावना आहत करना नहीं था।अगली सुनवाई:
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तारीख तय करते हुए स्पष्ट किया कि किसी भी राहत पर विचार case diary की समीक्षा के बाद ही किया जाएगा।यह मामला राज्य में इंटरनेट पर वायरल हो रही सामग्री और उससे उपजने वाले सामाजिक तनाव को लेकर एक उदाहरण बनता जा रहा है। अदालत का यह निर्णय यह संकेत देता है कि अब offensive content के मामलों में जल्दबाज़ी में राहत नहीं दी जाएगी, जब तक कि जांच पूरी न हो जाए।