Introduction
22 मई, 2025 को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में एक ऐतिहासिक क्षण देखा गया, जब डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के जवानों ने 27 नक्सलियों, जिसमें बैन नक्सल संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवा राजू भी शामिल थे, को सफलतापूर्वक निष्प्रभावी किया। इस उपलब्धि के बाद जवानों ने जश्न मनाया, जो नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतीक है। इस लेख में, हम इस घटना की पृष्ठभूमि, इसके महत्व, और इससे जुड़े पहलुओं की विस्तार से पड़ताल करेंगे।
Narayanpur, Chhattisgarh: DRG Jawans ka Jashn, 27 Naxals aur Top Leader Basava Raju ko Khatam Karne Ke Baad.
— Satya Drishti (@TheSatyaDrishti) May 23, 2025
Video Source : Ani pic.twitter.com/caIrbd6lBQ
The Operation
ऑपरेशन की शुरुआत 22 मई, 2025 को नारायणपुर जिले के घने जंगलों में हुई, जहां खुफिया जानकारी के आधार पर डीआरजी और अन्य सुरक्षा बलों ने एक संयुक्त अभियान चलाया। इस अभियान में 27 नक्सलियों को मार गिराया गया, जिसमें नंबाला केशव राव उर्फ बसवा राजू, जो नक्सल आंदोलन में एक प्रमुख नेता थे और पर 1 करोड़ रुपये का इनाम था, भी शामिल थे। इस ऑपरेशन को अत्यधिक सावधानी और रणनीतिक योजना के साथ अंजाम दिया गया, जिसने नक्सल नेटवर्क को गंभीर झटका दिया।
Significance of the Encounter
इस मुठभेड़ का महत्व कई स्तरों पर है। सबसे पहले, यह नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक निर्णायक जीत है, खासकर तब जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। दूसरा, बसवा राजू का निष्प्रभावी होना भारतीय माओवादी आंदोलन के लिए एक गंभीर झटका है, क्योंकि वह 1970 के दशक से इस आंदोलन से जुड़े थे और छत्तीसगढ़ तथा आसपास के राज्यों में नक्सल गतिविधियों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तीसरा, यह ऑपरेशन डीआरजी की प्रभावशीलता को दर्शाता है, जो स्थानीय ज्ञान और रणनीति का उपयोग करके नक्सलवाद से लड़ने में सक्षम है।
Celebration by DRG Jawans
मुठभेड़ के बाद डीआरजी जवानों ने अपनी सफलता का जश्न मनाया, जो उनकी कड़ी मेहनत और बलिदान का प्रतीक था। वीडियो फुटेज में जवानों को हथियार हवा में लहराते और एक साथ खड़े होकर खुशी मनाते देखा गया। इस जश्न ने न केवल उनकी जीत को रेखांकित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे स्थानीय सुरक्षा बल नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। यह क्षण जवानों के लिए एक गर्व का पल था, जो लंबे समय से इस संघर्ष में शामिल रहे हैं।
Broader Context of Naxalism in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद एक लंबे समय से चली आ रही समस्या है, जो स्थानीय जनजातीय आबादी की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों का फायदा उठाकर फैली है। डीआरजी, जो 2008 में स्थापित किया गया था, स्थानीय ज्ञान का उपयोग करके प्रभावी ढंग से जवाबी कार्रवाई करने के लिए बनाया गया था। इस ऑपरेशन से पहले भी, डीआरजी ने कई सफल ऑपरेशनों में हिस्सा लिया है, जैसे अक्टूबर 2023 में दंतेवाड़ा के अबूझमाड़ क्षेत्र में 28 माओवादियों को मार गिराना। ये घटनाएं नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में निरंतर प्रगति को दर्शाती हैं।
Impact on Maoist Insurgency
बसवा राजू का निष्प्रभावी होना माओवादी विद्रोह पर गहरा असर डाल सकता है। उनके बिना, नक्सल नेटवर्क की संचार और कमान श्रृंखला में व्यवधान आ सकता है, जो लंबे समय में उनकी गतिविधियों को कमजोर कर सकता है। यह ऑपरेशन न केवल एक व्यक्ति को खत्म करने के बारे में है, बल्कि यह एक बड़े रणनीतिक उद्देश्य का हिस्सा है, जो नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने का लक्ष्य रखता है।
Conclusion
नारायणपुर में डीआरजी जवानों की इस जीत ने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक नया अध्याय जोड़ा है। यह घटना न केवल सुरक्षा बलों की क्षमता और दृढ़ संकल्प को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे स्थानीय समुदाय और सुरक्षा बल मिलकर इस चुनौती का सामना कर रहे हैं। जैसे-जैसे छत्तीसगढ़ नक्सलवाद से मुक्त होता जाता है, ऐसे ऑपरेशनों का महत्व और बढ़ जाता है, और डीआरजी जवानों का जश्न इस जीत की सच्ची भावना को दर्शाता है।
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