क्या है पूरा मामला?
40 वर्षीय नीना कुतिना (Nina Kutina) और उनकी दो बेटियाँ गोकर्णा क्षेत्र की रमतिर्था पहाड़ियों में एक गुफा में रह रही थीं। स्थानीय लोगों ने जब उनकी स्थिति देखी तो पुलिस को सूचना दी। बाद में उन्हें एक आश्रम में स्थानांतरित किया गया और विदेशियों से संबंधित विभाग (FRRO) को सूचित किया गया।
वीजा 2017 में हुआ था समाप्त
पुलिस जांच में सामने आया कि महिला का वीजा 2017 में ही समाप्त हो गया था, लेकिन वह भारत में ही रह रही थीं। इसके चलते उन्हें अवैध प्रवासी माना गया और डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।
खुद उठाना पड़ सकता है टिकट का खर्च
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्यतः सरकार ऐसे मामलों में यात्रा का खर्च नहीं उठाती। न तो भारतीय सरकार और न ही रूसी सरकार महिला की वापसी के लिए टिकट उपलब्ध करवा रही है। ऐसे में महिला को खुद या किसी दानदाता के माध्यम से टिकट की व्यवस्था करनी होगी।
"डिपोर्टेशन में अक्सर सबसे बड़ी दिक्कत होती है टिकट का इंतज़ाम। जब तक टिकट नहीं खरीदा जाता, व्यक्ति डिटेंशन सेंटर में ही रह सकता है," – एक कानूनी विशेषज्ञ ने बताया।
आगे क्या?
अब FRRO बेंगलुरु के सहयोग से डिपोर्टेशन की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है। अगर महिला एयर टिकट की व्यवस्था नहीं कर पाती हैं, तो उन्हें लंबे समय तक डिटेंशन सेंटर में रहना पड़ सकता है।