पुणे की एक 22 वर्षीय आईटी प्रोफेशनल महिला द्वारा दर्ज किया गया रेप केस पूरी तरह से झूठा निकला। पुलिस जांच में सामने आया कि महिला ने ‘गुस्से’ में अपने पुराने दोस्त को फंसाने के लिए खुद ही सेल्फी एडिट की, धमकी भरा मैसेज लिखा और झूठा बयान दर्ज कराया।
घटना की शुरुआत
महिला ने दावा किया था कि एक अनजान व्यक्ति बैंक डिलीवरी एजेंट बनकर उसके फ्लैट में जबरन घुसा, उसका यौन शोषण किया और फिर उसका एक सेल्फी लेकर धमकी भरा मैसेज छोड़ा कि वह दोबारा लौटेगा। यह घटना पुणे के कोंढवा इलाके में सामने आई थी।
जांच में खुला सच
- कोई जबरन घुसपैठ नहीं हुई, आरोपी महिला का पुराना दोस्त था जिसे वह पिछले साल से जानती थी।
- सेल्फी सहमति से ली गई थी, बाद में महिला ने उसे एडिट कर आरोपी का चेहरा आंशिक रूप से छिपाया।
- धमकी भरा मैसेज भी महिला ने खुद लिखा था, ताकि मामला गंभीर लगे।
- पुलिस ने मोबाइल डेटा, CCTV फुटेज और टेक्निकल फोरेंसिक जांच के जरिए पूरे केस की सच्चाई उजागर की।
महिला का कबूलनामा
पूछताछ में महिला ने बताया कि वह उस दोस्त से नाराज थी और ‘गुस्से’ में आकर उसने यह झूठी कहानी गढ़ी। उसने यह भी स्वीकार किया कि वह उस दिन शारीरिक संबंध बनाने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं थी, लेकिन फिर भी सहमति दी और बाद में पछतावे में आकर ऐसा कदम उठाया।
पुलिस की प्रतिक्रिया
पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि महिला ने झूठी कहानी बनाई थी। अब इस मामले में महिला के खिलाफ भी झूठी शिकायत दर्ज करने की दिशा में कानूनी प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है।
कानूनी पहलू
यदि पुष्टि होती है कि यह पूरी तरह झूठी रिपोर्ट थी, तो महिला पर IPC की धारा 182 और 211 के तहत कार्रवाई की जा सकती है, जो झूठी शिकायत और निर्दोष व्यक्ति को फंसाने से जुड़ी हैं।