केरल में एक बार फिर निपाह वायरस के मामले सामने आने से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है। 1 जुलाई 2025 को मलप्पुरम जिले की एक 18 वर्षीय छात्रा की मौत के बाद निपाह संक्रमण की आशंका जताई गई थी। इसके कुछ ही दिनों बाद, पालक्कड़ जिले की 38 वर्षीय महिला में भी निपाह वायरस की पुष्टि हुई है और फिलहाल वह ICU में भर्ती है। इन दोनों मामलों ने राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग को हाई अलर्ट पर ला दिया है।
अब तक 425 से ज़्यादा लोगों को निगरानी में रखा गया है। इनमें मलप्पुरम जिले से 228, पालक्कड़ से 110 और कोझिकोड से 87 लोग शामिल हैं। जिन लोगों का संक्रमितों से संपर्क हुआ था, उन्हें आइसोलेशन में रखा गया है। सरकार ने तीनों जिलों में स्कूल और दफ्तरों को अस्थायी रूप से बंद रखने का फैसला लिया है। साथ ही कंटेनमेंट जोन बनाकर मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है।
निपाह वायरस चमगादड़ से फैलने वाला एक गंभीर और जानलेवा वायरस है। यह वायरस संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने या उनके द्वारा दूषित फल खाने से इंसानों में फैलता है। एक बार संक्रमित होने पर यह वायरस दिमागी बुखार, उल्टी, बेहोशी और यहां तक कि कोमा जैसी गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है। इसकी मृत्यु दर 40% से 75% के बीच होती है।
फिलहाल निपाह वायरस का कोई पक्का इलाज या वैक्सीन नहीं है। इलाज केवल लक्षणों को नियंत्रित करने तक सीमित रहता है। कुछ वैक्सीन और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी पर रिसर्च चल रही है लेकिन अभी तक कोई पूर्ण समाधान सामने नहीं आया है।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग लगातार निगरानी कर रहे हैं और लोगों से अपील की जा रही है कि वे किसी भी तरह की अफवाहों से बचें और सावधानी बरतें। बिना धोए फल न खाएं, चमगादड़ या जानवरों के संपर्क से दूर रहें और लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें।
निपाह वायरस से जुड़ी यह नई चेतावनी फिर एक बार हमें याद दिलाती है कि सतर्कता और सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है।