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दिल्ली के डीपीएस द्वारका स्कूल में फीस बढ़ोतरी को लेकर चल रहा विवाद अब थमता नजर आ रहा है। स्कूल ने हाल ही में 30 छात्रों के नाम अपनी लिस्ट से हटाने का फैसला वापस ले लिया है, जिन्हें बढ़ी हुई फीस न जमा करने की वजह से सस्पेंड किया गया था। यह जानकारी दिल्ली हाई कोर्ट में स्कूल की ओर से दी गई।
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क्या है पूरा मामला?
पिछले कुछ महीनों से डीपीएस द्वारका और अभिभावकों के बीच फीस बढ़ोतरी को लेकर तनाव चल रहा था। अभिभावकों का आरोप था कि स्कूल ने बिना उनकी सहमति के फीस में भारी बढ़ोतरी की और जिन परिवारों ने यह फीस जमा नहीं की, उनके बच्चों को स्कूल में प्रवेश से रोक दिया गया। इतना ही नहीं, स्कूल ने कथित तौर पर कुछ छात्रों के नाम अपनी वेबसाइट पर डाल दिए और उन्हें क्लास में बैठने से मना कर दिया।
अभिभावकों ने इस मामले को दिल्ली हाई कोर्ट में उठाया। उन्होंने स्कूल पर बच्चों के साथ भेदभाव करने और उनकी पढ़ाई में बाधा डालने का आरोप लगाया। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और स्कूल के रवैये पर नाराजगी जताई। खास तौर पर, कोर्ट ने स्कूल द्वारा बाउंसर्स को गेट पर तैनात करने की प्रथा को "घृणित" बताया, जो बच्चों को स्कूल में घुसने से रोक रहे थे।
कोर्ट में क्या हुआ?
दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान डीपीएस द्वारका ने बताया कि उसने 32 छात्रों के सस्पेंशन को वापस ले लिया है। स्कूल ने यह भी कहा कि वह अब उन बच्चों को क्लास में वापस आने की इजाजत देगा, जिनके नाम फीस न जमा करने की वजह से हटाए गए थे। कोर्ट ने स्कूल के इस कदम का स्वागत किया, लेकिन अभिभावकों का कहना है कि फीस वृद्धि का मुद्दा अभी भी पूरी तरह हल नहीं हुआ है।
अभिभावकों की शिकायतें
अभिभावकों का कहना है कि स्कूल ने फीस में अचानक और भारी बढ़ोतरी की, जिसे जमा करना उनके लिए मुश्किल था। कुछ अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया कि स्कूल ने बच्चों को अपमानित किया और उनकी पढ़ाई को नुकसान पहुंचाया। एक अभिभावक ने कहा, "हमारे बच्चों को स्कूल गेट पर रोकना और उनके नाम वेबसाइट पर डालना गलत है। यह उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता है।"
आगे क्या?
हालांकि स्कूल ने सस्पेंशन वापस ले लिया है, लेकिन फीस वृद्धि का मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है। अभिभावक चाहते हैं कि स्कूल फीस को पुराने स्तर पर लाए या कम से कम इस पर खुली चर्चा करे। दूसरी ओर, स्कूल का कहना है कि फीस बढ़ोतरी जरूरी थी ताकि स्कूल की सुविधाएं और क्वालिटी बरकरार रखी जा सके।
निष्कर्ष
यह मामला शिक्षा और बच्चों के अधिकारों से जुड़ा एक संवेदनशील मुद्दा है। दिल्ली हाई कोर्ट का हस्तक्षेप और स्कूल का सस्पेंशन वापस लेने का फैसला एक सकारात्मक कदम है, लेकिन अभिभावकों और स्कूल के बीच बातचीत से ही इस विवाद का स्थायी हल निकल सकता है। बच्चों की पढ़ाई को बिना किसी रुकावट के जारी रखना सबसे जरूरी है।