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अमेरिका ने ईरान पर बमबारी की शुरुआत एक 'फेक-आउट' से की: क्या था असली मकसद?

ईरान और अमेरिका के बीच चल रहे तनाव ने उस समय नया मोड़ लिया जब अमेरिकी सेना ने ईरान पर कथित बमबारी की शुरुआत एक 'फेक-आउट' यानी धोखाधड़ी रणनीति से की। यह हमला जितना आक्रामक दिखाई दिया, उसके पीछे की सच्चाई उतनी ही रणनीतिक थी।



क्या था 'फेक-आउट' हमला?

सूत्रों के अनुसार, अमेरिका ने शुरुआत में ऐसा आभास कराया कि वह ईरान के बड़े सैन्य ठिकानों पर सीधा हमला कर रहा है। लेकिन पहले दौर की मिसाइलें और ड्रोन ईरान की वायु रक्षा प्रणाली को भ्रमित करने के लिए छोड़ी गई थीं।
इस कदम का मकसद था — ईरान की सुरक्षा व्यवस्था की वास्तविक ताकत और प्रतिक्रिया समय को परखना।

रणनीति के पीछे क्या सोच थी?

रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका यह जानना चाहता था कि यदि वास्तविक हमला किया जाए, तो ईरान कितनी तेजी और ताकत से जवाब देगा। इसके लिए 'डिकॉय अटैक' (Decoy Attack) की मदद ली गई — यानी नकली हमला जो असली हमले की तैयारी का हिस्सा था।

ईरान की प्रतिक्रिया

तेहरान ने इसे 'युद्ध की खुली शुरुआत' बताया और संयुक्त राष्ट्र में तत्काल आपात बैठक की मांग की है। ईरानी सेना ने दावा किया कि उसने अमेरिका के कुछ ड्रोन्स को मार गिराया और देश पूरी तरह सतर्क है।

वैश्विक प्रतिक्रिया

रूस और चीन ने इस घटना को खतरनाक बताया है, जबकि यूरोपीय संघ ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। भारत सहित कई देश स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए हैं।

निष्कर्ष

अमेरिका द्वारा ईरान पर की गई इस 'फेक-आउट' बमबारी ने मध्य पूर्व में पहले से मौजूद तनाव को और भी जटिल बना दिया है। अब यह देखना होगा कि यह रणनीति युद्ध को टालने में मदद करेगी या एक बड़े टकराव को जन्म देगी।


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