ईरान में जारी तनाव और इज़रायली हमलों के बीच भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। भारत अब न केवल अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की प्रक्रिया में जुटा है, बल्कि नेपाल और श्रीलंका के नागरिकों को भी ईरान से निकालने में मदद करेगा। यह कदम नेपाल और श्रीलंका की सरकारों के औपचारिक आग्रह के बाद उठाया गया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि यह मानवीय आधार पर लिया गया निर्णय है और भारत हमेशा संकट की घड़ी में अपने पड़ोसी देशों की सहायता करता रहा है।
क्या कहा भारतीय अधिकारियों ने?
विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "नेपाल और श्रीलंका दोनों ने भारत से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए सहायता मांगी थी। हमने तुरंत सहमति जताई और निकासी प्रक्रिया में उन्हें भी शामिल किया है।"
बताया जा रहा है कि ईरान में मौजूदा हालात अस्थिर हैं, खासकर इज़रायली सैन्य कार्रवाइयों के चलते, जिससे वहां रह रहे विदेशी नागरिकों के लिए खतरा बढ़ गया है।
निकासी अभियान में भारतीय अनुभव
भारत पहले भी 'ऑपरेशन गंगा', 'वंदे भारत मिशन' और 'ऑपरेशन कावेरी' जैसे बड़े निकासी अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुका है। इसी अनुभव के आधार पर यह ताजा कदम भी उठाया गया है।
निष्कर्ष
भारत द्वारा नेपाल और श्रीलंका के नागरिकों की मदद करना क्षेत्रीय सहयोग और कूटनीतिक समझ का उदाहरण है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत न केवल अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, बल्कि अपने पड़ोसियों के साथ भी संकट की घड़ी में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहता है।