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Shashi Tharoor Ne Panama Mein Pakistan Ko Kiya Expose

Shashi Tharoor

Incident Ka Background

हाल ही में, शशि थरूर के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पनामा में एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों को उजागर करने वाला एक साहसिक कदम उठाया। इस प्रतिनिधिमंडल ने पनामा के राष्ट्रपति के समक्ष ऐसी तस्वीरें प्रस्तुत कीं, जिनमें कथित तौर पर पाकिस्तानी सेना के अधिकारी आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल थे। यह घटना न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नया विवाद लेकर आई, बल्कि इसने वैश्विक मंच पर आतंकवाद के प्रायोजन को लेकर पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठाए।

यह घटना मई 2025 में पनामा में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान हुई, जहां विभिन्न देशों के प्रतिनिधि वैश्विक सुरक्षा और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए थे। भारतीय प्रतिनिधिमंडल, जिसका नेतृत्व कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर कर रहे थे, ने इस मंच का उपयोग पाकिस्तान के आतंकवाद को समर्थन देने के कथित सबूतों को दुनिया के सामने लाने के लिए किया।

Shashi Tharoor

Tharoor Ki Strategy

शशि थरूर, जो अपनी कूटनीतिक और वाक्पटुता के लिए जाने जाते हैं, ने इस मौके पर भारत का पक्ष मजबूती से रखा। प्रतिनिधिमंडल ने पनामा के राष्ट्रपति और अन्य वैश्विक नेताओं के सामने तस्वीरें और दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिनमें दावा किया गया कि पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल थे। इन तस्वीरों को भारत ने आतंकवाद को प्रोत्साहन देने में पाकिस्तान की प्रत्यक्ष या परोक्ष भूमिका के सबूत के रूप में पेश किया।

थरूर ने अपने भाषण में कहा कि आतंकवाद वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है और इसे प्रायोजित करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराना जरूरी है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वह आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो और ऐसे देशों पर कड़े प्रतिबंध लगाए, जो आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। इस कदम ने न केवल पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा किया, बल्कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को भी रेखांकित किया।

Pakistan Ka Response

पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे भारत का "प्रोपेगेंडा" करार दिया। उन्होंने दावा किया कि तस्वीरें फर्जी हैं और भारत जानबूझकर उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तानी प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि भारत इस तरह के आरोप लगाकर क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा रहा है। हालांकि, उनकी प्रतिक्रिया को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ज्यादा समर्थन नहीं मिला, क्योंकि भारत द्वारा पेश किए गए सबूतों को कई देशों ने गंभीरता से लिया।

पाकिस्तान ने इस घटना के बाद अपने कूटनीतिक प्रयासों को तेज कर दिया और कुछ सहयोगी देशों से समर्थन मांगने की कोशिश की। लेकिन, वैश्विक मंच पर आतंकवाद के प्रति बढ़ती असहिष्णुता के कारण, पाकिस्तान की स्थिति कमजोर दिखाई दी।

International Reaction

पनामा के राष्ट्रपति और अन्य वैश्विक नेताओं ने इस घटना पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दीं। पनामा के राष्ट्रपति ने इस मुद्दे पर तटस्थ रुख अपनाते हुए कहा कि वे सभी पक्षों के सबूतों की जांच करेंगे। कुछ पश्चिमी देशों ने भारत के इस कदम की सराहना की और आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की वकालत की। वहीं, कुछ देशों ने इस मामले को भारत-पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा बताकर तटस्थ रहने का रास्ता चुना।

संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी इस घटना पर अपनी नजर रखी। कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का यह कदम आतंकवाद के मुद्दे को वैश्विक मंच पर और मजबूती से उठाने में सफल रहा। इसने उन देशों को भी सतर्क किया, जो आतंकवाद के प्रायोजन को नजरअंदाज करते आए हैं।

Conclusion

शशि थरूर के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का यह कदम न केवल कूटनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। पनामा में पेश की गई तस्वीरों ने पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर असहज स्थिति में ला खड़ा किया और यह साबित किया कि भारत अब आतंकवाद के मुद्दे पर चुप नहीं रहेगा। यह घटना न केवल भारत की कूटनीतिक ताकत को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि वैश्विक समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है।

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