Bharat aur Pakistan ke Beech Ceasefire: Kya Ab Shanti Sambhav Hai?

 


भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2025 में संघर्ष विराम (Ceasefire) पर सहमति बनी है, जो दोनों देशों के बीच हालिया तनाव और सैन्य संघर्ष के बाद एक महत्वपूर्ण कदम है।


📌 संघर्ष विराम की पृष्ठभूमि

पिछले कुछ हफ्तों में, कश्मीर में भारतीय पर्यटकों पर हुए हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया और "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान के विभिन्न ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इसके जवाब में, पाकिस्तान ने भी सैन्य कार्रवाई की। इस संघर्ष में दोनों पक्षों के कई सैनिक और नागरिक मारे गए। 

The Guardian


🤝 संघर्ष विराम समझौता



10 मई 2025 को, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक "पूर्ण और तत्काल" संघर्ष विराम की घोषणा की। इस समझौते के तहत, दोनों देशों ने 10 मई को शाम 5 बजे से सभी सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई। इस समझौते को लागू करने में अमेरिकी विदेश मंत्री
, उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस, सऊदी अरब, तुर्की और अन्य देशों ने मध्यस्थता की। 


🌍 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

संघर्ष विराम के इस समझौते का स्वागत अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने किया है। संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, यूरोपीय संघ और G7 देशों ने दोनों देशों से संयम बरतने और द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से स्थायी शांति स्थापित करने की अपील की है।

AP News


⚠ सिंधु जल संधि पर स्थिति


हालांकि संघर्ष विराम पर सहमति बनी है, लेकिन सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) अभी भी निलंबित है। भारत ने 23 अप्रैल 2025 को इस संधि को निलंबित कर दिया था, जब कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले में 26 भारतीय पर्यटक मारे गए थे। भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया और राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से यह कदम उठाया। इस निलंबन के बाद, भारत ने चेनाब नदी का प्रवाह कम कर दिया है, जिससे पाकिस्तान में पानी की आपूर्ति में 90% तक की कमी आई है। पाकिस्तान ने चेतावनी दी है कि यदि भारत ने पानी का प्रवाह बाधित किया, तो यह युद्ध की स्थिति उत्पन्न कर सकता है। 

Wikipedia


✅ निष्कर्ष

भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह स्थायी शांति की ओर पहला कदम है। दोनों देशों को आपसी विश्वास और संवाद के माध्यम से लंबित मुद्दों का समाधान करना होगा, विशेषकर सिंधु जल संधि और आतंकवाद के मुद्दे पर। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण होगी।

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